यह जिंदगी का तिलिस्म है PRAKRITI DARSHAN पत्ते पीले होकर गिर जाते हैंजब कुछ टूट रहा होता है, बिखर रहा होता है, निस्तेज हो रहा होता है तब यकीन मानिए कि कहीं...
हम आग से खेल रहे हैं PRAKRITI DARSHAN सोचिएगा कि सुबह उठे और दरवाजा खोलते ही तेज आग की लपटें आपको छू जाएं...आप क्या करेंगे... दरवाजा बंद कर देंगे। सोचिये कि ऐसी आग...
गौरेया तुम्हारे लिए PRAKRITI DARSHAN कैसे कहूं... तुमसे बतियाना चाहता था गौरेया। यह आत्मग्लानि है और मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था... ओ री प्यारी गौरेया कैसे कहूँ कि...
सिसकियां सदियों ठहर जाती हैं PRAKRITI DARSHAN युद्ध किसे चाहिए, क्यों चाहिए और क्यों आवश्यक है... युद्ध किसके लिए...जल, जमीन, आसमान या कुछ और...। जब जब युद्ध हुआ मानवता कुचली गई...। जल,...
अपने से बात तो कीजिए PRAKRITI DARSHAN पत्ते गिरते हुए भी मुस्कुरा रहे थेमैं आदमी होकर भी डरा सा हूँ। जगजीत जी की गज़ल सुन रहा था... कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा...
2022 का अंक- ‘नववर्ष और नवसृजन’, आलेख आमंत्रित PRAKRITI DARSHAN प्रकृति दर्शन, पत्रिका में जनवरी 2022 का अंक ‘नववर्ष और नवसृजन’ पर केंद्रित रहेगा। हमारे लिए नववर्ष साल में एक बार आता है लेकिन प्रकृति...
आशुतोष जी से शब्दों का आलोक मिलता रहे PRAKRITI DARSHAN ईश्वर से कामना है हमें शब्दों का आलोक चाहिए लेकिन आशुतोष जी का...। उनके शब्दों का, उनके चिंतन का...। आशुतोष हो जाना आसान नहीं है...
मन में बस जाती हैं कुछ यात्राएं …अगला अंक- यात्रा वृतांत (प्रकृति के बीच) PRAKRITI DARSHAN जीवन में यात्राएं हमें बहुत सिखाती हैं, यदि यात्राएं प्रकृति के बीच हों या प्राकृतिक स्थलों की हों तो हमारे मन में कहीं याद बनकर...
प्रकृति दर्शन का नवंबर अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर PRAKRITI DARSHAN आपकी अपनी पत्रिका प्रकृति दर्शन का नवंबर माह का अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर केंद्रित है, प्रकृति और संस्कृति का कितना गहन जुड़ाव है इसी...
नवंबर का अंक- ‘प्रकृति और संस्कृति’ विषय पर…आलेख आमंत्रित PRAKRITI DARSHAN राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ नवंबर का अंक- प्रकृति और संस्कृति विषय पर केंद्रित है, इसके लिए आप सभी सुधी लेखक साथियों से आलेख और...