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राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, प्रकृति दर्शन, आरएनआई संख्या UPHIN/2018/76392, आईएसएसएन संख्या 2581-8392 .

प्रकृति दर्शन पत्रिका के प्रकाशन के पूर्व पर्यावरणविद् साथियों से काफी चर्चा की गई। मुख्य विषयों पर मंथन हुआ और दिशा तय की गई। यही कारण था कि पहले ही अंक से हम उन विषयों पर पत्रिका को केंद्रित करते हुए आगे की ओर चल रहे हैं जिनमें आज वैश्विक तौर पर सुधार की गुंजाइश तलाशी जा रही है।

हमने अब तक क्या किया…अभी शुरुआत है लेकिन फिर भी जो किया वह नीचे उल्लेखित है-

अब तक पत्रिका के अंकों के विषय हमने जो चुने हैं…

प्रकृति दर्शन  : नदियां – नदियों पर यह अंक उनके मौजूदा हालात पर केंद्रित था।

प्रकृति दर्शन  : सूखा- सूखा वैश्विक समस्या है और यह अंक उसी पर था।

प्रकृति दर्शन  : बाढ़- देश के लिए बाढ़ एक गहरी समस्या है यह अंक उसी पर केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : प्रदूषण- यह अंक जल, थल, नभ के प्रदूषण पर केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : बारिश- यह अंक पूरी तरह बारिश पर केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : आपदा- कोरोना संक्रमण काल के साथ अब तक की प्रमुख आपदाओं पर यह अंक केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : किसकी दुनिया, कौन बेहतर- वन्य जीवों पर केंद्रित अंक

प्रकृति दर्शन  : हमारे जलपुरुष – मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित डॉ. राजेंद्रसिंह पर यह अंक केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : रेत पर जिंदगी- रेगिस्तान पर यह अंक केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  :  मुश्किल में ग्लेशियर, पहाड और जीवन- उत्तराखंड सहित दुनिया में ग्लेशियर असमय पिघलने पर यह महत्वपूर्ण अंक केंद्रित था।

प्रकृति दर्शन  : हमारी दुनिया में परिंदे- यह अंक परिंदों के जीवन केंद्रित था

प्रकृति दर्शन  : अपनी छत, सबकी हरियाली- यह अंक टेरेस गार्डनिंग पर केंद्रित था।

प्रकृति दर्शन  :…और कितने बुंदेलखंड- यह अंक बुंदेलखंड के सूखे और प्यास पर केंद्रित था।

प्रकृति दर्शन  : सवाल आक्सीजन का है- कोरोना में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत सभी ने देखी है, यह अंक मेडिकल और प्राकृतिक ऑक्सीजन पर केंद्रित था।

प्रकृति दर्शन  : हर बूंद अमृत- यह अंक दो हिस्सों में विभाजित था, पहले हिस्से में ख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा जी के जीवन पर आलेख थे और दूसरे हिस्से में बारिश पर आलेख थे।

हमने सुधार के यह नये प्रयोग किए हैं, हमें इस बात का बखूबी अहसास है कि पर्यावरण के प्रति जागरुकता के साथ ही जमीनी सुधार भी बेहद महत्वपूर्ण हैं इसलिए हमने कुछ प्रयास किए हैं-

1. हमने अपनी पत्रिका के दूसरे अंक के साथ पाठकों के लिए एक कागज के छोटे पैकेट में आंवले के बीज भेजे और उनसे गमलों में उनके बीजारोपण का अनुरोध किया था यह प्रयोग तब पूरी तरह से सफल रहा जब पाठकों ने उन बीजों को गमलों में रोपित किया और हमें फोटोग्राफ भी भेजे।

2. हमने पत्रिका के अंक के साथ एक पोस्टकार्ड अभियान चलाया जिसमें सरकार के समक्ष पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर कुछ महत्वपूर्ण मांगें उठाई गई थीं।

3. पत्रिका प्रकृति दर्शन ने एनजीओ गोपालदत्त शिक्षण समिति के साथ मिलकर संयुक्त तौर पर पौधारोपण अभियान ‘हरी हो वसुंधरा’ चलाया है इसमें नीम, पीपल, आंवले के पौधों का रोपण किया जा रहा है, साथ ही उन्हें वृक्ष बनाने की ओर प्रमुखता से ध्यान दिया जा रहा है।

4. हमने एक और प्रयास किया जिससे प्रकृति पर लेखन के प्रति जागरुकता में वृद्धि हो सके, हमने अपनी पत्रिका के लेखकों को प्रशंसा पत्र भी प्रेषित किए।

यदि आपके पास प्रकृति संरक्षण या पर्यावरण की दिशा में बेहतर करने का कोई प्लान है तो आप हमें मेल कर सकते हैं, हम संपर्क कर सकते हैं….।

प्रकृति दर्शन : राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

Editor : Sandeep Kumar Sharma

Managing Editor : Bala Datt Sharma

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