सालों जीवित रही झुमके की वह ख्वाहिश PRAKRITI DARSHAN मैं झुमके तिराहे पर ठहर गया और फोटोग्राफी करने लगा, देख रहा था कि झुमका भारी भी था और काफी ऊंचाई पर बेहद करीने से...
‘…और कितने बुंदेलखंड’ PRAKRITI DARSHAN अगला अंक ‘...और कितने बुंदेलखंड’ आलेख आमंत्रित हैं मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ का अगला अंक ‘‘...और कितने बुंदेलखंड’ पर केंद्रित रहेगा। दोस्तों जमीनी और पर्वतीय हिस्सों...
प्रेम का अनुरोध PRAKRITI DARSHAN प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती, ये तो यूं ही सूखे पत्तों सा सजीव है, सच्चा है, ये नेह में गर्म हवाओं के पीछे दीवानों...
सांझ सत्य और सुबह भरोसा है PRAKRITI DARSHAN प्रकृति बहुत ही गहन सबक अपने में संजोए है, वो सांझ के दौरान तपस्वी की आभा देती है, हम समझें तो बहुत साफ है कि...
कितनी मिठास है ना —इस घर शब्द में PRAKRITI DARSHAN घर यूं ही तो नहीं बन जाता। हरेक मन के किसी कोने में अपना घर और उसकी तस्वीर रखता है। इसकी पहली झलक जीवन के...
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भूमिगत जलसंरचना कुंडी भंडारा PRAKRITI DARSHAN मुगलकाल में बनी जलसंरचना- आओ हाथ बढ़ाएं, जल विरासत को बचाएं ये प्रकृति और उसके अंदाज...महसूस तो कीजिए...। ये अपनी विरासत खुद है और इसके नेह...
उस आंसुओं वाली जगह पर बहुत कोलाहल था PRAKRITI DARSHAN सुबह के साढे चार बजे थे, मैं हरिद्वार के स्टेशन पर अवाक सा देखता रहा दीवार पर बनाई गई इस पेटिंग को देखकर। कलाकार की...
ये पानी की कैद PRAKRITI DARSHAN पानी की कीमत हमें नहीं पता और लगता है हमें जाननी भी नहीं है, हम अब तक उस अमृत को प्लास्टिक की थैलियों में कैद...
मन गाता है…गंगा तेरा पानी अमृत… PRAKRITI DARSHAN बचपन से गंगा को लेकर एक गीत सुनते हुए बडे़ हुए हैं...गंगा तेरा पानी अमृत...झर-झर बहता जाए...युग-युग से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाए।...
जंगल मानवीय हो गया है और हमारी बस्ती क्रूर PRAKRITI DARSHAN हम कितने सहज हैं ना कि सबकुछ भूल जाते हैं, हमारी इस दुनिया पर चाहे कितनी भी आपदाएं आएं, कितने भी गहरे दर्द का सैलाब...