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गौरेया तुम्हारे लिए

कैसे कहूं... तुमसे बतियाना चाहता था गौरेया। यह आत्मग्लानि है और मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था... ओ री प्यारी गौरेया कैसे कहूँ कि...

अपने से बात तो कीजिए

पत्ते गिरते हुए भी मुस्कुरा रहे थेमैं आदमी होकर भी डरा सा हूँ। जगजीत जी की गज़ल सुन रहा था... कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा...

मन में बस जाती हैं कुछ यात्राएं …अगला अंक- यात्रा वृतांत (प्रकृति के बीच)

जीवन में यात्राएं हमें बहुत सिखाती हैं, यदि यात्राएं प्रकृति के बीच हों या प्राकृतिक स्थलों की हों तो हमारे मन में कहीं याद बनकर...

प्रकृति दर्शन का नवंबर अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर

आपकी अपनी पत्रिका प्रकृति दर्शन का नवंबर माह का अंक ‘प्रकृति और संस्कृति’ पर केंद्रित है, प्रकृति और संस्कृति का कितना गहन जुड़ाव है इसी...

नवंबर का अंक- ‘प्रकृति और संस्कृति’ विषय पर…आलेख आमंत्रित

राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘प्रकृति दर्शन’ नवंबर का अंक- प्रकृति और संस्कृति विषय पर केंद्रित है, इसके लिए आप सभी सुधी लेखक साथियों से आलेख और...

अक्टूबर अंक का विषय- हैप्पीनेस इंडेक्स…खुशी की प्रकृति

 प्रकृति दर्शन, पत्रिका में आलेख आमंत्रित हैंदोस्तों त्योहारों के कारण अक्टूबर और नवंबर के माह हम भारतीयों की खुशियों के माह होते हैं, बेशक हम...